व्याकरण (Grammar) की परिभाषा

व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलना, लिखना एवं समझना आता है।  

भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।  

अर्थात व्याकरण उस शास्त्र को कहते हैं जिसमें किसी भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान कराने वाले नियम बताए गए हों।  

व्याकरण (Grammar) की परिभाषा

कुछ उदाहरण देखें- 

  • सीता पेड़ पर चढ़ता है।  
  • हम सभी जाएगा।  

पहले वाक्य में यह अशुद्धि है कि सीता स्त्रीलिंग के साथ क्रिया का रूप 'चढ़ती' होना चाहिए। वाक्य बनेगा - सीता पेड़ पर चढ़ती है। वाक्य संख्या 2 में कर्ता बहुवचन है, अतः वाक्य बनेगा - हम सभी जाएँगे। ये अशुद्धियाँ क्रिया-संबंधी हैं।

व्याकरण के अंग

भाषा के चार मुख्य अंग हैं- वर्ण, शब्द पद और वाक्य। इसलिए व्याकरण के मुख्यतः चार विभाग हैं- 

  1. वर्ण-विचार 
  2. शब्द-विचार 
  3. पद-विचार 
  4. वाक्य विचार 

 (1) वर्ण विचार या अक्षर:- भाषा की उस छोटी ध्वनि (इकाई) को वर्ण कहते है जिसके टुकड़े नही किये सकते है।जैसे- अ, ब, म, क, ल, प आदि।  इसमें वर्णमाला, वर्णों के भेद, उनके उच्चारण, प्रयोग तथा संधि पर विचार किया जाता है।  

 (2) शब्द-विचार:- वर्णो के उस मेल को शब्द कहते है जिसका कुछ अर्थ होता है। जैसे- कमल, राकेश, भोजन, पानी, कानपूर आदि।  इसमें शब्द-रचना, उनके भेद, शब्द-सम्पदा तथा उनके प्रयोग आदि पर विचार किया जाता है।  

 (3) पद-विचार:- इसमें पद-भेद, पद-रूपान्तर तथा उनके प्रयोग आदि पर विचार किया जाता है।  

 (4) वाक्य-विचार:- अनेक शब्दों को मिलाकर वाक्य बनता है। ये शब्द मिलकर किसी अर्थ का ज्ञान कराते है।  

जैसे- सब घूमने जाते है।  

राजू सिनेमा देखता है।  

 इनमें वाक्य व उसके अंग, पदबंध तथा विराम चिह्न आदि पर विचार किया जाता है।

Hari Mohan

नमस्कार दोस्तों। मेरा मुख्य उद्देश्य इंटरनेट के माध्यम से आप तक अधिक से अधिक ज्ञान प्रदान करवाना है

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

POST ADS 2